जरा सोचिए, कैसा लगता होगा एक व्यक्ति को जब उसे पता चले कि वह कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहा है और कीमोथेरेपी के बाद भी उसे राहत नहीं मिल रही है ?

राजेश नारंगी की कहानी:

ऐसे ही हमारे एक कैंसर से पीडित मरीज़ जिनका नाम राजेश नारंगी, और उनकी उम्र 52 वर्ष है वह सूरत के रहने वाले हैं उन्होंने बताया कि पिछले दो महीने से उनके पेट में दर्द हो रहा था। तबियत ठीक ना होने के कारण उन्होंने जब टेस्ट करवाया तो उन्हें पता लगा कि उन्हें कैंसर है। यह सुन कर उनका परिवार बहुत दुखी हुआ।  लकिन उनकी पत्नी ने हार नहीं मानी।  काफी रिसर्च करने पर उन्हें HiiMS हॉस्पिटल क बारे में पता चला। पहले से जान-पहचान के लोगों से राय लेने के बाद विश्वास करके वे उन्हें यहाँ लेकर आईं।

जब वे हिम्स डेराबस्सी आए, तो मात्र 10 दिनों के भीतर उनका दर्द काफी हद तक ठीक हो गया। उनकी पत्नी ने बतया – राजेश को 2013 में पहली बार इस बीमारी का सामना करना पड़ा था। उन्होंने पहले कई दवाइयाँ लीं, लेकिन 2021 में स्थिति काफी बिगड़ने लगी। कीमोथेरेपी के प्रभाव से उनके हाथ-पैर सुन हो गए थे, जिससे चलने-फिरने में परेशानी हो रही थी। पहले वे योग नहीं करते थे, लेकिन अब सुबह 4 बजे उठकर योग और वॉक करने लगे हैं। वे अब नियमित रूप से डायट प्लान का पालन कर रहे हैं और अस्पताल द्वारा सुझाई गई विभिन्न थेरेपी ले रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें यहाँ आने के बाद एक नई ऊर्जा महसूस हो रही है और उनका आत्मविश्वास बढ़ा है।

राजेश ने यह भी साझा किया कि पहले वे लगातार थकान महसूस करते थे और रात में जल्दी नींद नहीं आती थी। लेकिन अब वे बिना किसी दवा के आराम से सो पाते हैं। हिम्स हॉस्पिटल के स्टाफ और आयुर्वेदिक कैंसर उपचार से वे बहुत संतुष्ट हैं। उनके अनुसार, यहाँ का माहौल परिवार जैसा है, और सभी डॉक्टर व स्टाफ बहुत सहयोगी हैं। राजेश का कहना है कि वे अब पहले से बेहतर महसूस कर रहे हैं, और टेस्ट कराने के बाद आगे की प्रगति का पता चलेगा। उन्हें पूरा भरोसा है कि वे जल्द पूरी तरह ठीक हो जाएंगे। उनकी सबसे बड़ी खुशी यह है कि अब वे अपने परिवार की जिम्मेदारियाँ निभा सकेंगे और अपनी बेटी की शादी भी कर पाएंगे।

राजेश नारंगी की कहानी सुनने क लिए वीडियो को क्लिक करे 

“कीमोथेरेपी के बिना कैंसर उपचार – एक नई आशा”

आज राजेश नारंगी का स्वास्थ्य बहुत ही बेहतर है और वे लोगों को आयुर्वेद के महत्व के बारे में बता रहे हैं। इससे एक जानकारी मिलती है कि कीमोथेरेपी के बिना भी कैंसर का उपचार संभव है। हमें आयुर्वेद की शक्ति को पहचानना चाहिए और सही समय पर सही निर्णय लेना चाहिए।  अगर आपके परिवार में भी कोई कैंसर से जूझ रहा है, तो कीमोथेरेपी के बिना कैंसर उपचार को अपना कर और  उसे आयुर्वेद की तरफ एक मौका जरूर दें। हो सकता है  कि यही उसका HiiMS में दाखिला कराने का सही समय हो, और आयुर्वेदिक कैंसर उपचार से ठीक हो कर  वह नई जिंदगी की शुरुआत कर सके!

HiiMS की विशेषताएं
भारत में HiiMS के 44 हॉस्पिटल्स और एक नेपाल में है  , 51 क्लीनिक और 23 डे केयर सेंटर्स हैं जहाँ प्राकृतिक और आयुर्वेदिक तरीकों से गंभीर बीमारियों का इलाज किया जाता है। HiiMS हॉस्पिटल मतलब Hospital & Institute of Integrated Medical Sciences. यह ऐसा हॉस्पिटल है जहाँ कई प्राकृतिक चीजों का मिश्रण कर के इंसान की बीमारी को ठीक  किया जाता है । किसी के लिए भी यह विश्वास करना मुश्किल होगा की बॉवेल कैंसर का आयुर्वेदिक इलाज से कैंसर को रिवर्स किया जा सकता है | 

प्राकृतिक उपचार: कैंसर से नई राह

डॉक्टरों ने बताया कि आयुर्वेद तीन दोषों —वात, पित्त और कफ को संतुलित करके स्वास्थ्य अच्छा करने में मदद करता है। 

  • हल्दी : हल्दी एक शक्तिशाली हर्बल औषधियाँ है जिसके उपयोग से सूजन घट जाती है और कैंसर-रोधी तत्व भी कम हो जाते हैं ।
  • नीम: एक प्राकृतिक जड़ी-बूटी है जो खून को साफ करती है और कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकती है।
  • आंवला (भारतीय गूजबेरी): इसमें मौजूद विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं और शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों से बचाते हैं।
  • त्रिफला: तीन शक्तिशाली फलों का संयोजन एक में जो की शरीर को डिटॉक्स करता है और प्रतिरक्षा को बढ़ाता है
  • तुलसी: इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट डीएनए को सुरक्षित रखते हैं और नुकसान से बचाने में मदद करते हैं।
  • गुडूची (जिसे गिलोय भी कहा जाता है): रक्त को शुद्ध करने में मदद करता है और शरीर की प्राकृतिक क्षमताओं को बढ़ाता है।
  • अश्वगंधा: शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।

पंचकर्म थेरेपी: शरीर की शुद्धि और उपचार

HiiMS हॉस्पिटल में  पंचकर्म थेरेपी करवाई जाती है , जो एक प्राचीन डिटॉक्स प्रक्रिया है जो शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालती है। इस थेरेपी के अंतर्गत:

  • वमन: यह कैंसर रोगियों के लिए फायदेमंद है क्योंकि यह शरीर से टॉक्सिन्स और अतिरिक्त कफ को बाहर निकालता है, यह बलगम कम करता है और शरीर को शुद्ध करता है।
  • विरेचन: यह लीवर और आंतों की सफाई करता है, इसकी मदद से हानिकारक टॉक्सिन्स को निकला जाता है जो कैंसर को बढ़ा सकते हैं, और पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाता है।
  • बस्ती: यह बड़ी आंत को साफ करता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और शरीर को पोषक तत्व अच्छे से मिलते हैं।
  • नस्य: यह नस्य को साफ करता है, ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाता है और वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों को कम करता है जो कैंसर का कारण बन सकते हैं। हर सत्र के बाद मेरा दोस्त को खुद को हल्का महसूस होता था!

उनका दृष्टिकोण केवल लक्षणों को दबाने का नहीं था, बल्कि  कैंसर को प्राकृतिक रूप से हराने और शरीर की प्राकृतिक उपचार क्षमता को बढ़ाने का था।

भोजन ही दवा: सात्त्विक आहार की क्रांति

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भोजन भी एक दवा की तरह काम कर सकता है। यहाँ आहार पूरी तरह से सात्त्विक बनाया जाता है,जिसमे फल सब्जियाँ  शामिल है  जैसे की  –

हरी पत्तेदार सब्जियां (जैसे पालक, केल) – जो शरीर में एंटीऑक्सीडेंट बढ़ाती हैं।

क्रूसीफेरस सब्जियां (जैसे ब्रोकली, फूलगोभी) – जिनमें कैंसर से लड़ने वाले तत्व होते हैं।

सुपरफूड्स (जैसे आंवला, तुलसी, काला जीरा) – जो इम्यूनिटी को बढ़ाते हैं।

यह सिर्फ एक डाइट नहीं है , बल्कि एक जीवनशैली है , जो कैंसर के खिलाफ लड़ाई में मदद करती है और स्वास्थ्य को बेहतर बनती है।

उपवास: शरीर की प्राकृतिक उपचार शक्ति को जगाना

आयुर्वेद में उपवास को दवा के रूप में माना गया है। यह शरीर में ऑटोफैगी (Autophagy) को सक्रिय करता है, जिससे शरीर क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को हटा कर नई और स्वस्थ कोशिकाओं को पुनर्जीवित करता है।

फास्टिंग के दौरान –

  • शरीर की सूजन काम होती है 
  • ऊर्जा बढ़ी
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है 

सही परिस्थितियाँ मिलने पर शरीर खुद को ठीक कर सकता है ।

Conclusion

कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का इलाज सिर्फ कीमोथेरेपी तक सीमित नहीं है। आयुर्वेद एक प्रभावी और प्राकृतिक तरीका प्रदान करता है जो शरीर को अंदर से ठीक करने और उसके प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। पंचकर्म, हर्बल औषधियाँ, सात्त्विक आहार, योग, ध्यान और उपवास जैसी विधियाँ न केवल रोग को जड़ से खत्म करने में सहायक हैं, बल्कि रोगी की जीवनशैली को भी सुधारती हैं।

आयुर्वेदिक उपचार का प्रभाव राजेश नारंगी  की यात्रा से साफ दिखता है जहां वह कीमोथेरेपी के दर्द से गुजर रहा था, वहीं आयुर्वेद ने उसे एक नई आशा दी। आज वह स्वस्थ है और लोगों को इस प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली के महत्व के बारे में जागरूक कर रहा है। अगर आपका कोई प्रियजन कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहा है, तो आयुर्वेद को एक अवसर दें और HiiMS में आयुर्वेदिक उपचार की ओर बढ़ें। यह केवल इलाज नहीं बल्कि एक नया जीवन जीने की दिशा हो सकती है।

FAQs

1. क्या कीमोथेरेपी के बिना कैंसर का इलाज संभव है?

हाँ, आयुर्वेदिक चिकित्सा के माध्यम से बिना कीमोथेरेपी के कैंसर का इलाज संभव है।

2. पंचकर्म कैंसर मरीजों के लिए कैसे फायदेमंद है?

यह टॉक्सिन्स को निकालकर शरीर को डिटॉक्स करता है।

3. कैंसर रोगियों के लिए सबसे फायदेमंद आयुर्वेदिक आहार कौन से हैं?

हरी सब्जियाँ, हल्दी, आंवला, गिलोय आदि।

4. क्या उपवास से कैंसर ठीक हो सकता है?

उपवास शरीर की प्राकृतिक उपचार शक्ति को बढ़ाता है।

5. आयुर्वेदिक उपचार से कैंसर मरीजों को क्या लाभ मिल सकते हैं?

  • शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
  • कीमोथेरेपी और रेडिएशन के दुष्प्रभाव कम होते हैं।
  • प्राकृतिक तरीकों से टॉक्सिन्स (विषैले तत्व) बाहर निकलते हैं।
  • रोग की जड़ में जाकर संतुलन स्थापित किया जाता है।

Dr. Ankita Rajkumar Varma

Review & Edited By: Dr. Ankita Rajkumar Varma

Author:  Hiims

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