नीम एक आयुर्वेदिक औषधि का जादुई पेड़

Posted on July 22, 2025 by adminhiims

नीम के फायदे और उपयोग: एक विस्तृत जानकारी

नीम के वृक्ष को धरती का कल्पवृक्ष भी कहा जाता है। नीम का वृक्ष शुद्ध वायु प्रदान करने वाला (प्राणदायक), आरोग्य (निरोगी शरीर) प्रदान करने वाला और रोगनाशक वायु को देने वाला होता है। आचार्य चरक ने चरक संहिता में चन्दन, जटामाँसी, खदिर आदि कंडूघ्न औषधियों में नीम की गणना की है। नीम चर्मरोग नाशक होने के साथ-साथ अनेक घातक जीवाणुओं जैसे ई. कोलाई, सालमोनेला टाइफी, स्टैफीलोकोकस आदि कीटाणुओं को नष्ट करता है। इसके विषय में शास्त्रों में ‘सर्वरोगहरो निम्ब’ कहा गया है। इसकी जड़ की छाल, तने की छाल, फूल, पत्ती, बीज और बीज का तेल विभिन्न बीमारियों के उपचार में प्रयोग किया जाता है।
Guna-karma:

  • रस: तिक्त, कषाय, गुण: लघु, रुक्ष
  • वीर्य: शीत, विपाक: कटु
  • दोष कर्म: कफ पित्त शामक

Chemical composition:

इसके काष्ठ (लकड़ी) में टैनिन, बैकालेक्टॉन, B-सिटोस्टेरॉल, तेल, छाल में टैनिन, केम्पेस्टीरॉल, नीम्बीनीन, पत्ते में निम्बिन, निम्बिनीन, निम्बेनडिओल, फल में जेडुनिन, एजाडिराडिओन, पुष्प में B-स्टिोस्टेरॉल और केम्फेरॉल पाया जाता है।

Medicinal uses:

नीम का उपयोग केशविकार, शिरःशूल, मोतियाबिंद, क्षय रोग, दंत-विकार, रक्त विकार, कर्णस्राव, नकसीर, खुजली आदि रोगों में लाभकारी होता है।

Health benefits:

  • बालों का असमय सफेद होना- नीम के बीजों को भृंगराज और विजयसार के स्वरस की तथा विजयसार की छाल के क्वाथ से तेल निकालकर बालों का असमय सफेद होना पूरी तरह से समाप्त होता है।

सिरदर्द में लाभ- नीम तेल को माथे पर लगाने से सिरदर्द में लाभ होता है।

  • मोतियाबिंद में लाभ- नीम बीज की बीज का चूर्ण 1 या 2 सलाई आँखों में लगाने से मोतियाबिंद में लाभ होता है।
  • कान का बहना-नीम के पत्तों के रस में सामान मात्रा में शहद मिलाकर कान को अच्छी प्रकार साफ कर 2-2 बूंद रोजाना सुबह-शाम को डालने से लाभ होता है।
  • दांतों के रोग- नीम की दातुन करना दांतों के रोग दूर करने के लिए लाभप्रद होता है।
  • गुर्दे की पथरी- नीम के पत्तों की 500 मि.ग्रा. राख को कुछ दिनों तक लगातार पानी के साथ दिन में 3 बार खाने से पथरी गल जाती है।Preparations:निम्बादि चूर्ण, निम्बारिष्ट, निम्बहरिद्र खंड

    Precautions:

    कमजोर कामशक्ति वाले व्यक्तियों को नीम का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह कामशक्ति को कम करती है।
    औषधीय पौधों का प्रयोग हमेशा चिकित्सक के परामर्श के अनुसार करना चाहिए।

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