Shuddhi Panchakarma Ayurveda Hospital is now HIIMS (Hospital & Institute Of Integrated Medical Sciences). For more details contact at 82704 82704

पंचकर्म

पंचकर्म उपचार शरीर के सभी दोषों को संतुलित करने के लिए बनाये गए हैं। मन, शरीर और आत्मा को शांत करने के लिए, पंचकर्म उपचारों ने प्रमुख महत्व दिखाया है। HIIMS में, हम पंचकर्म उपचारों के साथ हर स्वास्थ्य समस्या के लिए अत्यधिक देखभाल प्रदान करना सुनिश्चित करते हैं। शरीर के अच्छे स्वास्थ्य को अंदर से बाहर तक बढ़ाने के लिए हर थेरेपी का अपना महत्व है। HIIMS स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को जड़ से खत्म करने के लिए एक प्राकृतिक तरीका अपनाता है। हम मरीजों की बीमारी के अनुसार विशेष पंचकर्म उपचार प्रदान करते हैं।

फ़ायदे

पंचकर्म चिकित्सा प्राकृतिक रूप से शरीर की शुद्धि को बढ़ावा देने में मदद करती है

ये उपचार शरीर से टॉक्सिन बिल्डअप को खत्म करने के लिए बेहद स्वाभाविक हैं।

पाचन और चयापचय प्रक्रिया में सुधार करने की क्षमता है।

ये पंचकर्म उपचार वजन प्रबंधन में मदद करते हैं।

साथ ही, ये उपचार अवरुद्ध नसों को खोलने में मदद करते हैं।

मन, शरीर और आत्मा को आराम देने के लिए पंचकर्म उपचार अत्यधिक फायदेमंद होते हैं।

ये उपचार ऊतकों को फिर से जीवांत और फिर से भरने में मदद करते हैं।

ये उपचार प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।

पंचकर्म चिकित्सा सर्वोत्तम चिंता और तनाव को दूर करने में मदद करती है।

img

5000+

Patients Recovered So
Far With Panchakarma

400+

Patient From All
Over the World

THERAPIES

service-image

नस्य कर्म

नस्य कर्म आयुर्वेद में पंचकर्म के मुख्य पांच कर्मों में से एक है जो कि सिर, गला, आंख, नाक तथा कान की व्याधियों जैसे माइग्रेन, साइनोसाइटिस, सिरदर्द, सर्दी-खांसी, पुराना जुकाम, मिर्गी दौरे, साँस लेने में तकलीफ आदि जैसी समस्याओं को प्रभावी रूप से नियंत्रित करता है। यहाँ तक की नस्य कर्म की सहायता से रोगी को त्वचा, बाल, दर्द और लकवा जैसी जटिल समस्याओं में भी लाभ पहुँचाया जा सकता है। इस क्रिया के माध्यम से सिर में स्थित दोषों को नासा मार्ग से बाहर निकाल कर रोगी को लाभ पहुंचाया जाता है। जिसमे मुख्य रूप से नस्य, प्रतिमर्शनस्य, नावन, अवपीडन नस्य आदि का प्रयोग रोगी के अनुसार चयनित किया जाता है।

जानु बस्ति

जानु बस्ति एक आयुर्वेदिक थेरेपी है, जिसकी मदद से जोड़ों को जरुरी पोषण और मजबूती मिलती है। साथ इसकी मदद से जोड़ों को चिकनापन बढ़ता है और उनकी गतिशीलता बढ़ जाती है। जानु बस्ति सहायता से घुटनों के जोड़ो के दर्द व अकड़न, सूजन, ऑस्टियोऑर्थराइटिस और आयु संबंधी सेहत से जुड़ी समस्याओं को दूर किया जा सकता है। आयुर्वेद के अनुसार वात दोषों के कारण ही जोड़ों से संबंधित समस्याएं होती हैं लेकिन जानु बस्ति वात दोष को शांत कर जोड़ों की समस्याओं का अंत करता है और दर्द से हमेशा के लिए छुटकारा दिलाता है।

service-image
service-image

विरेचन

विरेचन कर्म पंचकर्म के मुख्य कर्मों में एक कर्म है जो पित्त दोष को संतुलित करने में सहायता करता है। इस कर्म की सहायता से शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स यानी विषाक्त पदार्थ बाहर निकाले जाते हैं जिससे पेट एवं आंतों में मौजूद टॉक्सिन्स भी बाहर निकल जाते हैं। विरेचन की सहायता से सिरदर्द, हाई कोलेस्ट्रॉल, बुखार, त्वचा विकार (स्किन की समस्या), बालों, मोटापे, एलर्जी और पाचन संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है।

वमन

वमन पंचकर्म के महत्वपूर्ण कर्मों में से एक है जो कफ दोषों को दूर करता है। वमन का अर्थ उल्टी करना होता है अतः इस कर्म में व्यक्ति के मुँह से उल्टी करवाकर शरीर में उपस्थित दोषों को संतुलित और अपशिष्ट पदार्थों को बहार निकाला जाता है। वमन कर्म का प्रयोग विशेष रूप से कफ संबंधी विकारों को दूर करने के लिए किया जाता है। इससे पाचन व श्वसन की समस्याएं, पेट में संक्रमण, अस्थमा आदि जैसी स्वास्थ संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है।

service-image
service-image

उत्तर बस्ति

पंचकर्म में उत्तर बस्ति चिकित्सा का प्रयोग मुख्य रूप से स्त्री संबंधी रोगों जैसे बाँझपन, गर्भाशय संबंधी विकारों, फैलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज, यूटेराइन फैबोरॉइड आदि समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जाता है। हालांकि पुरुषों और स्त्रियों के मूत्र मार्ग संबंधी समस्याओं के निवारण के लिए भी उत्तर बस्ति थेरेपी दी जाती है।